Saturday, January 8, 2011

मित्र

आज वह बहुत दुखी था
दुःख तो उसे हमेशा से ही था
पर आज दुःख का पारावार न था
हमेशा तो आँखों से पानी बहता था
पर आज तो हृदय चीत्कार कर रहा था
और आँखे सुखी थी

ह्रदय की वेदना ना रोने देती थी
ना ह्रदय को चुप होने देती थी
बस छोड़ जाती थी ह्रदय के चारो तरफ
तो एक चीत्कार , एक हाहाकार
और एक सन्नाटा , निर्मोही शांति

किसी ने उसे पागल समझा
तो किसी ने बेचारा समझा
किसी दयावान ने दया का पत्र समझा
तो धर्मात्मा ने प्रभु की मर्जी समझा
पर किसी ने उस दुःख को नहीं समझा

शयद अब ये दुःख ही उसका मित्र था
और निर्मोही शांति उसकी अर्धांगिनी
चलो , अब मेरे जीवन में एक मित्र तो है
इस एक विचार से वो उठा , खड़ा हुआ
और लग गया नित्यक्रम में

3 comments:

  1. really Good one...Specially loved ''Nirmohi Shanti''.....So wt shld i call u --> MumMun'Nirmohi'.

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  2. Best part(last line) ,in that state of depression he became optimistic and started doing his routine business

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  3. Best part(last line) ,in that state of depression he became optimistic and started doing his routine business

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